स्वयं प्रोजेक्ट : अपने गांव की आ‍वाज़ बनेंगे छात्र-छात्राएं

Update: 2016-10-01 15:59 GMT
उत्तर प्रदेश की एक लाख से ज्यादा लड़कियां अब तक स्वयं प्रोजेक्ट से सीधे तौर पर जुड़ चुकी हैं। हजारों छात्राओं ने स्वयं प्रोजेक्ट के जरिए अपने इलाके की समस्याएं और खूबियां हम तक पहुंचा चुकी हैं तो सैकड़ों छात्राएं कम्युनिटी जर्नलिस्ट बनकर अपने गांव की आवाज़ बन रही हैं। सिद्धार्थनगर जिले के यशोदा देवी बालिका इंटर कॉलेज में स्वयं टीम से रुबरु छात्राएं। फोटो- अभिषेक वर्मा
उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के राजकीय इंटर कॉलेज में स्वयं प्रोजेक्ट के दौरान अपनी बात रखती छात्रा। फोटो शुभम
बुंदेलखंड के चित्रकूट में छात्र-छात्राओँ ने बताया कि पानी की कमी के साथ छुट्टा जानवर (अन्ना) उनके इलाके की बड़ी समस्या है। 
छात्रा-छात्राएं के साथ किसान और महिलाएं भी कम्यूनिटी जर्नलिस्ट बनकर अपने गांव की आवाज़ बन सकती हैं। फोटो- वीरेंद्र शुक्ला
यूपी के बाराबंकी जिले के मंशी रघुनंदन प्रसाद सरदार पटेल महिला महाविद्यालय में छात्राओं ने बताओं ने बताया, “कई लड़कियां छेड़खानी के डर से स्कूल-कॉलेज छोड़ने मजबूर हो जाती है। कानून बने हैं लेकिन जरुरी ये है कि लड़कियां भी पलटकर जवाब दें, हम लोग इसे बखूबी समझ गए हैं।’’ 
गांवों तक बिजली न पहुंचना और खंभे लगे होने के बावजूद बिजली का आना ग्रामीण भारत की बड़ी समस्या है। सुल्तानपुर जिले की इस छात्रा ने कहा कि अंधाधुंध बिजली की कटौती से न सिर्फ उसकी बढ़ाई बाधित होती है बल्कि लोगों के घरों में रखे तमाम उपकरण सिर्फ शोपीस बन कर रह गए हैं।
गांव कनेक्शन ग्रामीण भारत की आवाज़। 
उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से बात करती स्वयं टीम। समूह के जरिए अपनी रोजी-रोटी चलाने के साथ ये महिलाएं अब गांव कनेक्शन में कम्यूनिटी जर्नलिस्ट भी होंगी जो इलाके की समस्याओं और महिलाओं के मुद्दे को अख़बार तक पहुंचाएंगी। 

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